शनिवार, 3 सितंबर 2016

गणेश चतुर्थी के दिन मनोकामना पूर्ति के अचूक उपाय




गजानन गणेश की संकल्प अनुसार साधना करने से विघ्नहर्ता भक्तों की बिगड़ी बना देते हैं। भगवान गणेश स्वयं रिद्घि-सिद्घि के दाता व शुभ-लाभ के प्रदाता हैं। वह भक्तों की बाधा, संकट, रोग-दोष तथा दारिद्र को दूर करते हैं। गणपति की संकल्प पूर्वक साधना-आराधना करने से भक्त को चिंताओं से मुक्ति मिलती है  इच्छाएं पूर्ण होती है, मन स्थिर रहता है, अन्न व धन के भंडार में बरकत होती है। तथा विघ्न दूर होकर सभी कार्यों में सफलता मिलती है।
आइये आज हम जानते है की हमे किस कामना पूर्ति के लिए गणपति जी को कैसे मनाना है या कह सकते है की गणेश चतुर्थी के दिन मनोकामना पूर्ति के उपाय –
विवाह के लिए :
अगर आपके विवाह में परेशानिया आ रही है या किसी वजह से विवाह संपन्न नहीं हो पा रहा हो या फिर विवाह हेतु सुयोग्य वर/वधु नहीं मिल रही है तो नीचे  लिखे मंत्र की ११ मालाये तथा गणेश स्तोत्र का पाठ नित्य करें एवं गणपति जी को मोदक का भोग लगाएं।
ॐ ग्लौम गणपतयै नमः

भूमि प्राप्ति के लिए :
आपका भूमि से सम्बंधित मामला कई दिनों से अटका हुआ है या किसी अन्य तरह का विवाद चल रहा है या फिर आप किसी भूमि को बहुत दिनों से आप क्रय करना चाह रहे है परंतु किसी कारण वश कर नहीं पा रहे है तो संकटनाशन गणेश स्त्रोत एवं ऋणमोचन मंगल स्त्रोत के ११ पाठ करे लाभ होगा|

भवन प्राप्ति के लिए
अगर किसी भवन को क्रय करने का सोच रहे है या अपना घर बनाना चाहते है परंतु कुछ परेशानियों के चलते  नहीं बना पा रहे है एवं भवन प्राप्ति में देरी हो रही है तो श्रीगणेश पंचरत्न स्त्रोत एवं भुवनेश्वरी चालीसा अथवा भुवनेश्वरी स्त्रोत का नियमित पाठ करे आपको तुरंत ही इसका लाभ मिलेगा|

संपत्ति प्राप्ति के लिए :
अगर आप आर्थिक रूप से परेशान है पैसो की कमी से जूझ रहे है।  आय का कोई साधन नहीं दिख रहा है या फिर बहुत मेहनत करने के बाद भी व्यापार में हानि हो रही है या पैसा कमाने के बाद भी आपके पास स्थिर नहीं हो रहा है तो इन सब परेशानियों से बचने के लिए श्री गणेश चालीसा, कनकधारा स्त्रोत तथा लक्ष्मी सूक्ति का पाठ करे आपको तुरंत ही इसका लाभ मिलेगा|

धन-समृद्घि के लिए :
धनदाता गणेश स्तोत्र का पाठ तथा कुबेर यंत्र के पाठ के साथ ॐ श्रीं ॐ ह्रीं श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीं क्लीं वित्तेश्वराय नमः मंत्र की 11 माला नित्य करें।

गणेश चतुर्थी पूजा विधि 
पूजन से पहले नित्यादि क्रियाओं से निवृत्त होकर शुद्ध आसन में बैठकर सभी पूजन सामग्री को एकत्रित कर पुष्प, धूप, दीप, कपूर, रोली, मौली लाल, चंदन, मोदक आदि एकत्रित कर क्रमश: पूजा करें।
भगवान श्रीगणेश को तुलसी दल व तुलसी पत्र नहीं चढ़ाना चाहिए। उन्हें शुद्ध स्थान से चुनी हुई दूर्वा को धोकर ही चढ़ाना चाहिए।
श्रीगणेश भगवान को मोदक (लड्डू) अधिक प्रिय होते हैं इसलिए उन्हें देशी घी से बने मोदक का प्रसाद भी चढ़ाना चाहिए।
श्रीगणेश स्त्रोत से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
आज के दिन लाल रंग के वस्त्र पहनना अति शुभ होता है। गणपति का पूजन शुद्ध आसन पर बैठकर अपना मुख पूर्व अथवा उत्तर दिशा की तरफ करके करें।
पंचामृत से श्री गणेश को स्नान कराएं तत्पश्चात केसरिया चंदन, अक्षत, दूर्वा अर्पित कर कपूर जलाकर उनकी पूजा और आरती करें। उनको मोदक के लड्डू अर्पित करें। उन्हें रक्तवर्ण के पुष्प विशेष प्रिय हैं। श्री गणेश जी का श्री स्वरूप ईशाण कोण में स्थापित करें और उनका श्री मुख पश्चिम की ओर रहे।
संध्या के समय गणेश चतुर्थी की कथा, गणेश पुराण, गणेश चालीसा, गणेश स्तुति, श्रीगणेश सहस्रनामावली, गणेश जी की आरती, संकटनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ करें। अंत में गणेश मंत्र ‘ ऊं गणेशाय नम:’ अथवा ‘ऊं गं गणपतये नम: का अपनी श्रद्धा के अनुसार जाप करें।

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