रविवार, 24 जुलाई 2016

जरूर जाने शास्त्रों के अनुसार शिव पूजन में ध्यान रखने योग्य आवश्यक बातें





भगवान शंकर बहुत ही जल्दी अपने भक्तो की सभी मनोकामनाएं पूरी करने वाले देवता माने गए है इसीलिए इन्हे देवो के देव महादेव कहा गया है। कहते है की जो व्यक्ति सावन में भगवान शिव की सच्चे मन से पूजा करता है भगवान शिव की सभी मानोकामना पूर्ण  होती है। सावन माह में सोमवार के सभी व्रत रखकर डमरू वाले बाबा की पूर्ण श्रद्धा से पूजन करने से सभी मनोकामना पूर्ण होती है। 

      हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार प्रातः प्रदोष काल यानी दिन -रात के मिलन की घडी में भगवान शिव की आरधना बहुत ही शुभ मानी गयी है। सावन में शिव पूजन से पहले हम सभी मनुष्यो को काले तिल जल में मिलाकर स्न्नान करना चाहिए। भगवान शिव की पूजा के साथ ही माता पार्वती ,गणेश जी ,कार्तिकेय और नंदी की पूजा अवश्य करें। 

 भगवान शिव की आराधना प्रातः काल पूर्व दिशा की ओर मुंह करके करनी चाहिए। 

शाम के समय में शिव जी की आराधना पश्चिम दिशा की ओर मुंह करके करनी चाहिए। 

लेकिन अगर आप रात के समय प्रभु की उपासना करते है तो आपका मुंह उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए। 

 पूजा करते समय कोई भी शिव मंत्र का जाप अवश्य ही करते रहे। भगवान शिव की उपासना के बाद उनकी कपूर से आराधना अवश्य करनी चाहिए। 

जो लोग काल सर्प दोष से पीड़ित है उन्हें सावन में काल सर्प दोष की पूजा अथवा रुद्राभिषेक करना चाहिए। उन्हें नाग पंचमी के दिन चांदी या तांबे का नाग -नागिन बनवाकर उसकी पूजा करनी चाहिए ,और अपने पितरों को याद करते हुये नाग देवता का बहते पानी में श्रद्धा पूर्वक विसर्जन करना चाहिए। प्रतिदिन शिव मंदिर जाकर शिवलिंग पर दूध और काले तिल से अभिषेक करें इससे भगवान शिव की कृपा से रोग दूर होते है। 
             

           इन उपायो को अपना कर आपअपने जीवन में कुछ बदलवो को अवश्य ही महसूस करेगे।







                                                                       

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें