बुधवार, 6 जुलाई 2016

गणेश जी कौन से अंग है जिनके दर्शन करने पर आती है दरिद्रता जाने यह प्रमाणित उपाय







गणेश जी का स्वरूप बहुत मनोहर एवं मंगलदायक है। वह एकदंत और चतुर्बाहु है। वह अपने चारों हाथों में पाश ,अंकुश ,दंत और वरमुद्रा धारण करते है। उनके ध्वज में मूषक का चिन्ह है। वे रक्तवर्ण ,लम्बोदर ,शूर्पकर्ण तथा रक्त वस्त्रधारी है। अपने स्वजनों ,उपासकों पर कृपा करने के लिए वह साकार हो जाते है। उनके मुख का दर्शन करना अत्यन्त मंगलमय माना जाता है लेकिन क्या आप जानते है है उनका एक अंग ऐसा भी है जिसके दर्शन करने से दरिद्रता आती है।


गणपति जी के कानों में वैदिक ज्ञान ,सूंड में धर्म ,दांए हाथ में वरदान ,बाएं हाथ में अन्न ,पेट में सुख -सम्रद्धि ,नेत्रों में लक्ष्य ,नाभि में ब्रह्मंड ,चरणों में सप्तलोक और मस्तक में बर्ह्मलोक होता है। जो जातक शुद्ध तन और मन से उनके इन अंगो के दर्शन करता है उसकी विद्या ,धन ,संतान और स्वास्थ्य से संबंधित सभी इच्छाएं पूरी होती है इसके अतिरिक्त जीवन में आने वाली अड़चनों और संकटो से छुटकारा मिलता है।


  शाश्त्रो के अनुसार गणपति बाप्पा की पीठ के दर्शन नहीं करने चाहिए। मान्यता है की उनकी पीठ में दरिद्रता का निवास होता है ,इसीलिए पीठ के दर्शन नहीं करने चाहिए। अनजाने में पीठ के दर्शन हो जाएं तो पुनः मुख के दर्शन कर लेने से यह दोष समाप्त हो जाता है।

    इन बातों का रखे ध्यान ;


एक घर में तीन गणपति की पूजा न करें।

घर या आफिस में श्री गणेश का स्वरूप लगाते समय यह ध्यान रखें की इन का मुंह दक्षिण पश्चिम दिशा में न हो।





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